बुधवार, 31 अक्तूबर 2012

"नारी, नारीशिक्षा और समाज"

हमारे समाज में आज भी अधिकतर नारी शिक्षा से वंचित है। ऐसा लगता है कि नारी शिक्षा, नारीत्व के लिए अभिशाप है। नारी अशिक्षित है तो इसका कारण है कि हमारे पूर्वज अशिक्षित थेइसलिए उनके ख्यालात रूढ़िवादी थे। गाँवों में स्कूलों की कमी भी थी लेकिन आज भी अधिकतर बालिका शिक्षा से वंचित है क्योंकि हम अभी भी जाग्रत नहीं हुए है। आज गाँवों कि बालिकाएं शिक्षा की कल्पना से भी अनभिज्ञ है। गाँवों में नारी का जन्म मानो निरक्षरता के अभिशाप के साथ होता है। समाज की रिती-रिवाजो और हमारी परम्पराओं ने नारी को घर की चारदीवारी तक ही सीमित कर दियाहै। बाल्यकाल से ही बालिका को घर के काम-काज व कृषि कार्य में लगा दिया जाता हैं।आज के बदलते परिवेश में नारी शिक्षा आवश्यक है। शिक्षित नारी घर के विकास की सर्वोच्चतम सीढ़ी है। नारी से ही परिवार का जन्म होता है। अशिक्षित नारी को बाल्यवस्था से लेकर मृत्युतक पूरी उम्र किसी न किसी रूप में कभीबेटी, कभी पत्नी तो कभी मां के रूप मेंकष्टपूर्ण जीवन व्यतीत करना पड़ता है। मैं दुनिया की सोच तो नहीं बदलसकता लेकिन समझदार लोग नारी शिक्षा को महत्व क्यों नहींदेते ? वर्तमान में केन्द्र व राज्य सरकारों द्वारा नारीशिक्ष ा हेतु अनेक कार्यक्रम चलाए जा रहें है लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में इसके कोई सार्थक परिणाम नहींआ रहें है। हमारे देश व समाज कि शिक्षित नारीयों से प्रेरणा लेकर हमें बालिका शिक्षा के प्रति जागरूक चाहिए व नारी शिक्षा को बढ़ावा देना चाहिए। शिक्षित नारी ही सभ्य व सुसंस्कृत समाज की नींव होती है। आज के परिवेश में हमें नारी का जीवन चारदीवारी में न सीमित कर उन्हें स्वतंत्र जीवन जीने देना चाहिए। The Bishnoism

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